उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्यों के राजनीतिक गलियारों में आजकल एक युवा राहुल काम्बोज चर्चा का विषय बना है । उत्तराखंड में विपक्षी दल के नेताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि यह युवा राहुल कंबोज जिसको मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जर्मनी पार्लियामेंट का मेंबर बताते हुए युवाओं के लिए रोजगार खोजने की बात कर रहे है ।

वह युवक जर्मनी की किसी संसद का सदस्य नहीं है बल्कि जर्मनी के एक छोटे से शहर फ्रैंकफर्ट का सिटी पार्लियामेंट सदस्य हैं जो कि हमारे यहां के
नगर पालिका, नगर परिषद या नगर निगम के पार्षद जैसे ही होते हैं।

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जर्मनी के फ्रैंकफर्ट की सिटी काउंसिल में 93 सदस्य हैं, जिनमें से 1 राहुल कंबोज भी हैं।

इसका सबूत ये भी है कि जर्मनी की संसद को बुंडेस्टाग कहा जाता है, जिसमें फिलहाल 736 सदस्य हैं, लेकिन इनकी अधिकारिक वेबसाइट पर इनमें से कोई भी राहुल या राहुल कंबोज नाम से नहीं है। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि आज तक कोई भी भारतीय मूल का मैंबर ऑफ पॉर्लियामेंट, जर्मन चुना ही नहीं गया है।

फिर राहुल काम्बोज और पूर्व में उनके भाई कपिल काम्बोज खुद को पार्लियामेंट सदस्य क्यों बताते है ।हालांकि उनके भाई के द्वारा भारत मे कोई राजनीतिक गतिविधि देखने को नहीं मिली ।

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कई पत्रकारों, विपक्षीय दलों के नेताओं , उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष ने भी इस विषय पर सरकार पर निशाना साधा है ।

सवाल करने वालो का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने आप को इस तरह से बात कर राजनीतिक गलियारों परिचित करवाता है तो सुरक्षा और जांच एजेंसियां क्या कर रही है ?

यह युवक पिछले कई महीनो से भारत में है ,जहाँ 2024 जर्मनी में राजनीतिक संकट चल रहा था यह व्यक्ति खुद को जर्मनी पार्लियामेंट का सदस्य बता भारत में लगातार राजनीति गतिविधियां कर रहा है ।

व्यक्ति के विषय मे जानकारी जुटाने पर पाया गया कि
डेमोक्रेटिक पार्टी (FDP) से वह अप्रैल 2016 से दिसंबर 2019 तक जर्मनी में केल्स्टरबैक शहर (हेसन राज्य) के “स्टैडट्रैट काउंसलर” के रूप नियुक्त रहा था।

बाद में वे जनवरी 2020 में फ़्री वेहलर पार्टी में शामिल हो गया व सितंबर 2020 में पार्टी के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष का पद दिया गया ।

फ़्री वेहलर पार्टी ने उन्हें 2021 में शहर “फ्रैंकफर्ट मेन” से अपने उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का जिम्मा सौंपा, जिसमे राहुल की जीत हुई ।

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राहुल कुमार कंबोज जर्मनी से मैंबर ऑफ पॉर्लियामेंट बताते हुए हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली का लगातार दौरा कर रहे हैं, कई धर्म गुरुओं ,हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल, हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ पिछले 3-4 महीने के दौरान लगातार मुलाकात कर रहे हैं।
उनके नाम से बने फेसबुक पेज पर लगातार फ़ोटो अपडेट होती रहती है , वहीं समाचारों की सुर्खियों व इन तमाम बड़े नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट से भी राहुल कंबोज को मैंबर ऑफ पॉर्लियामेंट जर्मनी बताते हुये फोटो शेयर होते है ।

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हरियाणा व उत्तराखंड में तो राहुल कंबोज जर्मनी के मैंबर ऑफ पॉर्लियामेंट के तौर पर सरकारी मीटिंगों में शामिल हुऐ ।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर व केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी उमाशंकर , एनआईए चीफ दिनकर गुप्ता के साथ हुई मुलाकात को भी राहुल कंबोज ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया ।

यदि कोई छदम व्यक्ति खुद को विदेशी सांसद बताते हुए सत्ता के बड़े गलियारों में घूम रहा हो, उसके बारे में प्रदेश व देश की एजेंसियों को सतर्क हो जाना चाहिए, और जांच होनी चाहिए कि आखिर में चूक कहाँ हुई ।

राहुल कंबोज को यमुनानगर जिले का मूल निवासी बताया जा रहा है, जो बाद में फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में चले गए।

अजय दीप लाठर (लेखक ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक ) द्वारा एक सोशलमीडिया पोस्ट में बताया गया कि
“राहुल कंबोज का वर्जन लेने के लिए उन्हें 1 जनवरी व 2 जनवरी को 3 व्हाट्सऐप मैसेज भेजे गए। लेकिन, इन्होंने इनमें से किसी का भी जवाब नहीं दिया। पूछने के बावजूद उन्होंने खुद के जर्मनी मैंबर ऑफ पॉर्लियामेंट होने को लेकर कोई सबूत भी नहीं दिया।”

ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल कंबोज द्वारा खुद को पॉर्लियामेंट मैंबर ऑफ जर्मनी खुद बताया गया या किसी अन्य के द्वारा ये षड्यंत्र रचा गया ।
इस दावे की जांच , हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली में हुई उनकी मुलाकातों व सरकारी बैठकों में पहुंचाने के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की माँग भी हो रही है ।

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