देहरादून : पिछले कुछ दिनों में कुछ लोगों ने देहरादून शाशन प्रशासन की नाक मे दम किया है ।
पहले पलटन बाजार में बवाल , उसके बाद 26 सितंबर को रेलवे स्टेशन पर बवाल ।
पलटन बाजार की वीडियो देखने के बाद कानून व्यवस्था पर जरूर सवाल उठा था ।
जहाँ एक व्यक्ति दो दो लड़कों को घसीटते हुए ले कर जाता दिखा , साथ मे उस व्यक्ति के साथी समुदाय विशेष को अपशब्द , धमकी, नफरती नारे जोर जोर से लगा रहे थे ।
पुलिस के कई कार्यलयों के चंद कदम पर इस प्रकार की घटना कहीं ना कहीं पुलिस को कटघरे में खड़ा कर रही थी ।
जहाँ मुख्यमंत्री जी सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहले राज्य पर गर्व करते है वहां इस प्रकार का कानून स्वयं के हाथों में लेना सरिया देशों की याद दिलाता है ।
मामला उस वक्त हिन्दू लड़की से छेड़खानी का था तो पुलिस ने साथ दिया । लगातार कई दिनों तक पलटन बाजार में पुलिस ने सत्यापन कार्य किये । जिसका असर पलटन बाजार में दिख रहा है ।
वहीं 26 सितंबर की रात की वीडियो में वो ही व्यक्ति अपने साथियों के साथ पत्थरबाजी करते नजर आया ।
पथराव में पुलिस की गाड़ी समेत आम लोगों की भी कई गाड़ियां टूट गईं ।
घटना में एक युवक गंभीर रूप से घायल हुआ है और कई लोगों को चोटें आई हैं। पुलिस को लाठियां फटकार कर स्थिति को संभालना पड़ा ।
जबकि मामला एक 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की को भगा लाने का था ।
इस मामले में पुलिस ने रात को ही 30 से अधिक नामजद और करीब 150 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया था।
इस हिन्दू संगठन के नेता के साथ दूसरे पक्ष के एक पार्षद नदीम को भी गिरफ्तार करने की सूचना मिली थी ।क्योंकि 26 की मध्यरात्रि दोनों पक्ष ने ही स्थिति को विकराल कर देहरादून को नफरती आग में धकेलने का प्रयास किया ।
स्थिति विकट तब हुई जब हिंदूवादी संगठन के नेता को हिरासत में लेने के बाद पलटन बाजार को बंद कर एक संगठन से सम्बंध रखने वाले पलटन बाजार के नेताओं ने घंटाघर पर जाम लगा दिया ।
इन संगठन विशेष के नेताओं ने एसएसपी देहरादून के खिलाफ शब्दों का प्रयोग किया और उनको सस्पेंड करने की मांग की ।
जिसके कारण सारा शहर जाम में फंसा रहा , बाजार बंद होने से लोगों को वापस लौटना पड़ा , डर के कारण सार्वजनिक वाहन घण्टाघर पलटन बाजार वाली रूट पर नहीं गये ।
इन संगठन विशेष के व्यापारियों ने दबाव बनाने के लिए घंटाघर पर हनुमान चालीसा पाठ शुरू कर दिया ।
देर शाम गिरफ्तार किए गए लोगों को छोड़ दिया गया जब तो उसके बाद पलटन बाजार में ढोल बजाकर इनका स्वागत किया गया जेल से बाहर गिरफ्तारी के बाद बाहर आने पर संगठन विशेष के इस नेता ने कहा कि वह उनको गिरफ्तार नहीं किया गया था बल्कि मैं पुलिस ने उनको पूछताछ के लिए बुलाया था।
उक्त घटनाक्रम को देखते हुए उत्तराखंड के लोगों के विभिन्न प्रकार की प्रक्रिया दी है ” लोगों का कहना है कि यह वही लोग है जो अंकिता भंडारी हत्याकांड के समय अपनी दुकान खोले हुए पहाड़ी समाज पर हंस रहे थे ।
दूसरी तरफ लोगों का सवाल यह भी है ” कि एक तरफ यह समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं।
वहीं दूसरी तरफ जब इनको भू कानून , मूल निवास संबंधित सभा में बुलाया जाता है वहां पर यह अपनी उपस्थिति नहीं देते हैं ।
आखिर यह किसके इशारों पर उत्तराखंड को सांप्रदायिक संप्रदाय तनाव में धकेल रहे हैं