विधानसभा भवन देहरादून :
दिनांक 7 फरवरी 2024 को दो दिनों की चर्चा परिचर्चा के बाद विधानसभा में UCC विधेयक पास हुआ । UCC ड्राफ्ट पर विपक्ष कोई विशेष विरोध या चर्चा नहीं कर पाया । इसलिए उत्तराखंड़ UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन चुका है , बाकी देखना होगा कि जनता को UCC का कोई फायदा होता है या नहीं ।
क्या है UCC ड्राफ्ट के मुख्य बिंदु :
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यूसीसी के जरूरी प्रावधान
-2010 के बाद हुई शादियों के लिये विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
-पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णतः प्रतिबंधित।
-सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
-वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है
तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
-पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
-सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटी-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
-मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
-संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
-किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है।
-उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा।
-किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
-लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
-लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।
-अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।