देहरादून : कुछ दिन पूर्व आइएसबीटी के आसपास तीन बालिकाओं को अस्तव्यस्त हालात में देखा गया था ।
बालिकाएं दूसरे राज्य की लग रही थी जिनके द्वारा बताया गया कि उनको खरीद फरोख्त के लिए देहरादून लाया गया है ।
तीनो बालिकाओं को चौकी बुला कर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट तथा चाइल्ड लाइन की टीम के सामने पूछताछ की गयी तो उन्होंने बताया कुछ लोग उन्हें अच्छे पैसे एवम नौकरी दिलवाने का लालच देकर दिल्ली से देहरादून लाए ।

जहाँ तीनो को एक फ्लैट में एक महिला और पुरुष के पास छोड़ दिया गया । जहाँ उन्होंने 110000 रुपए में खरीदने बेचने की बात करते हुए सुना ।

वहां घर में एक लड़की पहले से थी , जिसने भी उनको अभियुक्तों द्वारा लडकियों की खरीद फरोख्त में लिप्त होने और गलत काम करवाये जाने की जानकारी दी ।
इसलिए घबरा कर तीनों युवतियां रात को चादर के सहारे बालकनी से नीचे कूदकर वहाँ से भाग आयी । रेस्क्यू की गयी युवतियों में से एक युवती सिलीगुड़ी असम तथा दोनों नाबालिक युवतियां मध्य प्रदेश की है रहने वाली है ।

बालिकाओं की निशानदेही पर
महिला – बाला पत्नी सतपाल यादव (तलाकशुदा) निवासी – मेहता एशोशिएट, वेद सिटी कालोनी पथरीबाग, पटेलनगर उम्र 48 वर्ष

व पुरुष -दिग्विजय सिंह पुत्र रामपाल शर्मा -मुस्तफापुर, नवादा,- नगाँवा सादात, जिला- अमरोहा उ० प्र० उम्र-45 वर्ष को गिरफ्तार किया ।
इन मानव तस्करों ने बालिकाओं को गाजियाबाद निवासी पूनम खुशी और उसके साथी से खरीदना बताया ।

दोनों गिरफ्तार अपराधियो की जब कुंडली खंगाली गयी तो पता चला दोनो पुराने अपराधी है ।

अभियुक्ता बाला पूर्व में वर्ष 2013 में भी थाना सहसपुर से मानव तस्करी के अपराध में जेल जा चुकी है, जिसके विरुद्ध थाना सहसपुर में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी अभियोग पंजीकृत है, जबकि अभियुक्त दिग्विजय के विरुद्ध अमरोहा उत्तर प्रदेश में लूट, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट तथा गैंगस्टर एक्ट के अभियोग पंजीकृत हैं।

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