” नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्टिंग का मामला फिर अटका । केंद्र ने खारिज किया हल्द्वानी गौलापार का प्रस्ताव !”
नवम्बर 2022 को राज्य मंत्रिमंडल में गहन मंथन के बाद
उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित करने का प्रस्ताव चार जनवरी2023 को केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र भेजा गया था जिस पर
तत्कालीन हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी का भी समर्थन प्राप्त था।
जिसके जबाब में मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित करने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी। इस संबंध में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जानकारी दी थी ।
उसके बाद मामले में कई पक्ष और विपक्ष सामने आए थे ।
शिफ्टिंग के समर्थकों कहते है कि हाईकोर्ट की वजह से भारी तादाद में फरियादी नैनीताल आते हैं, इससे नगर में भीड़ बढ़ने से जाम लगता है। लेकिन विरोधियों का जबाब है कि हाईकोर्ट में प्रतिदिन औसतन केवल 150 नये मामले दर्ज होते हैं, ये फरियादी नैनीताल आते हैं जबकि पुराने मामलों में फरियादी, गवाह या अन्य को हाईकोर्ट नहीं आना होता है। जाम लगने का कारण पर्यटक है ना कि फरियादी ।
इस संबंध में 20फरवरी 2024 को सचिव उत्तराखंड सरकार डॉक्टर पंकज कुमार पांडे ने जिलाधिकारी नैनीताल को पत्र लिख अवगत करवाया की “मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल को गौलापार, हल्द्वानी स्थानातंरित करने का प्रकरण शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता में निहित है। उल्लेखनीय है कि प्रश्नगत भू-भाग वनभूमि में निहित होने के कारण नियमानुसार वनभूमि-हस्तांतरण का प्रस्ताव तैयार कर विभिन्न चरणों से अनुमोदित होकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के नियंत्रणाधीन क्षेत्रीय सशक्त समिति (Regional Empowered Committee) के समक्ष प्रस्तुत हुआ। आर०ई०सी० की 82वीं बैठक दिनांक 24.01.2024 को सम्पन्न बैठक में सक्त प्रस्ताव को Non-site specific activity category में होने के कारण अस्वीकृत कर दिया गया है। उक्त बैठक में कमेटी द्वारा निम्न निर्णय भी दिया गया है:-
“However, the members also suggested the user agency to put all efforts to explore the alternatives in revenue land and use the available technologies with multi- storey building taking the least possible area and design a clear layout plan mentioning the concrete footfall and green footfall.”
अब देखना होगा कि 2017 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनिताल को अन्यत्र स्थापित करने की जो प्रयास चल रहा है उस पर क्या फैसला होता है ।