जैसे सभी लोग को अवगत है कि मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के आवाहन पर संपूर्ण उत्तराखंड ने 1 सितंबर 2024 को गैरसैंण में आयोजित मूल निवास, भू कानून और स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर रैली को अपना समर्थन दिया है।
पूरे प्रदेश से लोगों ने एक सितंबर के लिए कमर कस ली है परंतु अचानक कल रात उस समय से लोगों के बीच हलचल है । जब सोशल मीडिया पेज जागो उत्तराखंड पर एक पोस्ट डाली गई।
जिसमें लिखा गया की 1 सितंबर को होने वाली रैली उत्तराखंड क्रांति दल के बैनर तले लड़ी जाएगी ।
पोस्ट वायरल होने पर सभी लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई है क्योंकि मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा यह रैली संपूर्ण उत्तराखंड के जागृत वर्ग को साथ ले कर मूल निवासियों के हितों के लिए संगठित हो कर पुनः शुरू की गयी थी ।
जिसमें की कोई भी पार्टी, कोई भी संगठन, कोई भी वर्ग भाग ले सकता है । इसका सबसे बड़ा उदारहण पिछले साल दिसंबर माह में देहरादून में आयोजित स्वाभिमान रैली है ।जहाँ देहरादून की सड़कें भर गयी थी हजारों लोग ने प्रदेश के कोने कोने से आकर भू कानून और मूल निवास 1950 को अपना समर्थन दिया था ।
उसके बाद भी विभिन्न स्थानों पर आयोजित रैलियों में लोगों ने बिना पार्टी या संगठन का बैनर लिए आंदोलन किया और मुक्त रूप से इस मुहिम को समर्थन दिया था ।
पूर्व दिसम्बर 2023 में भी देखा गया था कि जहाँ हज़ारो मूल निवासी देहरादून में इकठ्ठे थे जब यूकेडी ख़ुद के झंडों के साथ अचानक रैली स्थल पर आयी जहाँ की एक दम आक्रमक माहौल बन गया था।परंतु आयोजकों की समझदारी से मामला संभल गया ।
देखा जाये तो यूकेडी के प्रति राज्य आंदोलन के समय जो आदर भाव लोगों के दिलो में था वो अब नहीं रह गया है । पूर्व में जब भी लोगों ने यूकेडी को विधायक दिए तो वो सत्ताधारी दलों के साथ मिल गये ।
यूकेडी के अंदरूनी झगड़े और कलह जगजाहिर है ।
जिससे लोगों के दिलों से यूकेडी के चंद युवा नेताओं को छोड़ कर सब बाहर निकल चुके है ।
कुछ समय पूर्व आषुतोष नेगी जो कि जागो उत्तराखंड के एडमिन है ने भी यूकेडी की कड़ी आलोचना की थी ।और यूकेडी से परेशान लोगों का स्वागत अपने एक संगठन पहाड़ी स्वाभिमान सेना में किया था ।
आशुतोष नेगी वो ही पत्रकार है जिनको श्याद ही अंकिता हत्या कांड से पूर्व कोई व्यक्ति अधिक जानता होगा । अंकिता हत्याकांड में अंकिता के माता पिता का साथ देने के कारण सब उनको जानने लगे ।
जब सरकार द्वारा आशुतोष नेगी को परेशान किया गया तो जनमानस ने मिल कर आवाज उठायी ।
उन पर आरोप लगे थे कि वह अंकिता के नाम पर राजनीति कर रहे ।
हुआ भी वो ही लोकसभा चुनाव से पूर्व अचानक आशुतोष नेगी यूकेडी जॉइन कर देते है और पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा भी करते है । लोगों ने आशुतोष नेगी के इस कदम को पूरी तरह नकार दिया और उनको बहुत कम वोट मिले ।
चुनाव हारने के बाद आशुतोष नेगी ने चुनाव हारने पर मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति पर राजनीति में उनका साथ ना देने का आरोप लगा कर अपनी बनायी
पहाड़ी स्वाभिमान सेना का संबंध मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति से ख़त्म करने का ऐलान किया था ।
वहीं 15 जून 2024 छपे एक अखबार की हेडलाइन अनुसार यूकेडी ने भी मूल निवास, भू कानून 1950 से अपने हाथ पीछे खींच लिये थे ।
ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर यूकेडी क्या कर रही है ?
आखिर आशुतोष नेगी इतना बड़ा फैसला स्वयं ले रहे हैं या फिर यूकेडी के नेतृत्व के द्वारा उनको यह आदेश दिया गया है ।
आशुतोष नेगी 2022 में बीजेपी का प्रचार कर चुके है और धनसिंह रावत के करीबी माने जाते है ।लोकसभा में भी उनके पौड़ी सीट पर चुनाव लड़ने को कॉग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल के वोट काटने की नीति बतायी गयी थी ।
अब सवाल ये उठता है कि मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति जो कि विगत 3-4 महीनों से गाँव गाँव जा कर रैली को सफल बनाने का आव्हान कर रही थी । युवा बढ़चढ़ कर आगे आरहे है क्योंकि उत्तराखंड का आम जनमानस का विश्वास अब राजनीतिक पार्टियो में नहीं है । तो क्या यूकेडी लोगों को भर्मित कर इस रैली को असफल करने का प्रयास कर रही है ? या फिर आशुतोष नेगी में यूकेडी के नेताओं को कंट्रोल में कर रैली को भी हाइजैक करने का प्रयास कर रहे है ।