2020 कोरोना काल से शुरू हुए इस घोटाले में , दून में बनी कंपनी सनराइज सिक्योरिटी एंड सर्विसेज ने दो साल तक फर्जी तरीके से करीब 32 लाख रुपये से ज्यादा का पीएफ हड़प लिया।
इस कंपनी ने 922 कर्मचारी दर्शाकर केंद्र सरकार से दो साल तक पीएफ अनुदान लिया । इन फर्जी कर्मचारियों के पीएफ खातों में सरकार से 2.87 करोड़ रुपये जमा हुए। इसमें से पीएफ एडवांस के क्लेम लगाकर इन फर्जी कर्मचारियों के बैंक खातों में 31 लाख 90 हजार रुपये की रकम डलवा ली गई। बाकी रकम पीएफ खातों से बैंक खातों में क्लेम के जरिये ट्रांसफर हो पाती, इस बीच फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। विभिन्न लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर हो चुके 31.90 लाख में से ईपीएफओ ने 16 लाख एक हजार की रकम रिकवर कर ली है, लेकिन 15 लाख 89 हजार रुपये वसूल किए जाने बाकी हैं।
कंपनी का यह फर्जीवाड़ा जैसे ही ईपीएफओ के सामने आया कंपनी से जुड़े लोग दून से भाग गए। कंपनी ने नगर निगम के वार्ड-40 में अपना कार्यालय बनाया था। ईपीएफओ ने कंपनी के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बसंत विहार थानाध्यक्ष महादेव उनियाल ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से तहरीर दी गई। आरोप है कि सनराइज सिक्योरिटी एंड प्लेसमेंट सर्विसेज कंपनी के मालिक विकास कुमार निवासी नेहरू कॉलोनी देहरादून द्वारा ऐसे 933 लोगों के आधार कार्ड और बैंक खातों का उपयोग किया, जो वास्तव में संस्थान के कर्मचारी थे ही नहीं।
मोबाइल कंपनी ओप्पो और सिक्योरिटी कंपनी इनोविजन से वसूले 22 लाख रुपये
कंपनियों के हक का पैसे हड़पने में मोबाइल कंपनी ओप्पो और सिक्योरिटी कंपनी इनोविजन लिमिटेड भी पीछे नहीं हैं। इन दोनों कंपनियों से भी ईपीएफओ ने 22 लाख रुपये से ज्यादा की रकम वसूल ली थी ।
ये कंपनियां वर्षों से कर्मचारियों के पीएफ की रकम अपने खाते में जमा करा रही थीं। जबकि, कंपनी के रिकॉर्ड में पीएफ का पैसा कर्मचारियों के खाते में जमा दिखाया जा रहा था।