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आखिर कौन कर रहा मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा संगठित रूप से शुरू की गयी लड़ाई को विफल करने की कोशिश
गैरसैंण :बीते दिनों यूकेडी के चंद लोगों और यूकेडी के ही सदस्यों द्वारा बनी गैरराजनीतिक समिति मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई खुल कर सामने आरही है , कहीं ना कहीं समिति के आव्हान पर हजारों की भीड़ जुटना पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा , जिसमें मुख्य रूप से यूकेडी के ताजा ताजा बने UKD के केन्द्रीय कार्यकारिणी में मीडिया प्रभारी और संगठन मन्त्री तथा UKD चमोली जिलाध्यक्ष का गुट सामने आये है ।जबकि UKD की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया ।
(बताते चले कि आशुतोष नेगी अंकिता हत्याकांड को ले कर चर्चा में आये थे , अंकिता के माता पिता का साथ देने पर उत्तराखंड ही नहीं बाहरी राज्यों के लोगों ने भी उनका भरपूर साथ दिया दिया ।)

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अब लोंगो के मन में ये सवाल आरहे है कि आखिर आशुतोष नेगी को मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति से क्या दुश्मनी है ,आखिर जब पिछले साल से युवा मोहित डिमरी ,लूशुन टोडरिया, प्रांजल नौडियाल राकेश बिष्ट
मोहन सिंह रावत, अरुण नेगी, आशीष बिष्टबिपिन नेगी,
सफलता से समिति का संचालन कर रहे थे और पूर्व भू कानून मूल निवास मुद्दे पर रैलियां आयोजित कर रहे थे तब भी UKD को कोई समस्या नहीं थी ।परन्तु आशुतोष नेगी के अचानक UKD में शामिल होने से क्यों UKD के नेताओं के लगातार स्वर बदल रहे है ।
जून महा में जहाँ UKD खुद को मूल निवास ,भू कानून से ख़ुद को अलग करने की घोषणा करती है वहीं पक्की पकाई रेवड़ी खाने 1 सितंबर गैरसैंण में आयोजित समिति की रैली को ले कर भी लोगों को भर्मित करने की कोशिश कर रहे है ।
अब आशुतोष नेगी को ले कर भी लोगों के मन मे शक उत्पन्न हो रहा है लोग पूछ रहे है कि आखिर कौन है आशुतोष नेगी ?
अध्यापक , समाज सेवक, सामाजिक कार्यकर्ता ,नेता, पत्रकार , आरटीआई एक्टिविस्ट , या कोई मौकापरस्त इंसान !!
आखिर क्यों लोगों के मन मे ये सवाल उठ रहे है उसके पीछे वजह है बार बार आशुतोष नेगी के विचार, पार्टियां , संगठन बदलना । लोगों का मानना है कि आशुतोष नेगी कभी भी एक जगह टिक कर कार्य करने वाले इंसान नहीं है ।
सोशलमीडिया पर आशुतोष नेगी की तस्वीरे लगातार वायरल हो रही है
जिसमे वो कभी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में वोट की अपील करते है

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वहीं कभी ख़ुद को आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में दर्शा कर्नल कोठियाल का प्रचार कर रहे है ।
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वहीं सभी को ज्ञात ही है कि 2022 विधानसभा सभा चुनाव में उन्होंने खुल कर धन सिंह रावत का प्रचार ही नहीं किया अपितु उनको भावी मुख्यमंत्री भी मान बैठे

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आशुतोष नेगी और धनसिंह रावत की भनक सभी को है , कहीं ना कहीं धन सिंह रावत को कांटे की टक्कर देने वाले गणेश गोदियाल को बार बार अपने बयानों में निशाना बनाने का कारण धनसिंह रावत की नजदीकियां भी है ।

परन्तु गुप्त सूत्रों के अनुसार आशुतोष नेगी पुर्व में कांग्रेस से भी राजनीतिक संपर्क में थे , हरीश रावत से मिल अंकिता भंडारी की माँ के लिए उन्होंने टिकट की मांग की थी परंतु गणेश गोदियाल के टिकट दावेदार होने के कारण हरीश रावत ने स्पष्ट रूप से आशुतोष रावत को मना कर दिया जो टिस आज भी उनके मन मे है इसलिए वो मौका लगते ही गणेश गोदियाल को निशाना बनाते है । कई इंटरव्यू में आशुतोष हरीश रावत पर टिकट के लिए पैसा मांगने का आरोप लगा चुके है ।
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वहीं आशुतोष नेगी के नजदीकी माने जाने वाले आशीष नेगी भी 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर चुके है ।
आशुतोष नेगी जागो उत्तराखंड के मालिक है जिन पर उनके ग्रह क्षेत्र में कई बार सरकारी कार्य मे बाधा डालने के आरोप लगे है वहीं कुछ अधिकारियों ने उन पर पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेल करने के आरोप भी लगाये , इन आरोपों में कितनी सच्चाई है ये तो संबंधित मामलों के फैसले आने पर स्पष्ट होगा उत्तराखंड हलचल इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता ।
वहीं आशुतोष ख़ुद को पूर्व अध्यापक भी बताते है ।
उनपर अभी तक 7 मुकदमे दर्ज है जिनमे 5 मुक़दमे गभीर धाराओं में दर्ज है ।
मार्च माह में उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है ।उसके तुरंत बाद उनका UKD जॉइन करना और पौड़ी से चुनाव लड़ना भी लोगों को हजम नहीं हुआ ।
एशे में उनका अचानक आकर 1 सितंबर को होने वाली मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की रैली को यूकेडी के बैनर तले होने की घोषणा करना और समिति के संयोजक पर कांग्रेस के लिए काम करने के आरोप लगाना लोगों के समझ मे नही आरहे । जबकि कुछ दिन पुर्व वह स्वयं कांग्रेस नेता गरिमा का समर्थन करते नजर आरहे थे । जो कि एक पार्टी में रहते हुए किसी दूसरी पार्टी के नेताओं का समर्थन करना अनुशासन हीनता मानी जाती है ।

जनता अब आशुतोष नेगी पर भू कानून, मूल निवास , स्थायी राजधानी को लेकर आयोजित रैली को विफल करने के कोशिश के आरोप लगा रही है ,अस्पष्ट रूप से ही कुछ लोगों द्वारा आशुतोष पर जातिवादी भी बताया जा रहा है ।
वहीं कुछ लोग उनके बीजेपी के साथ मिल कर जनता की एकता को भंग करने के प्रयास का भी आरोप लगा रहे है ।
जनता का कहना है कि ” मूल निवास, भू कानून, स्थायी राजधानी सभी मूल उत्तराखण्डियों का अधिकार है ,और इसमें कोई भी जिले का निवासी , किसी भी पार्टी , सरकारी ,प्राइवेट, महिला पुरुष , किसी भी क्षेत्र के निवासी सहभागिता निभा सकता है । एशे में एक पार्टी का एकाधिकार और दूसरी पार्टी को रैली में शामिल होने पर ऐतराज सम्भव नहीं ।लोग UKD के बैनर तले रैली करवाने के पक्ष में नहीं है ।

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