उत्तराखंड :आखिर क्या है उत्तराखंड में लगातार कांग्रेसी नेताओं के कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने का कारण ??
क्या खत्म होने वाली है उत्तराखंड कांग्रेस ??
आखिर किस नींद में सोई है केंद्रीय कॉंग्रेस कमेटी ??
वैसे तो चुनाव की चर्चा शुरू होते ही कांग्रेस में से बीजेपी में जाने वाले लोगों की संख्या निरंतर बढ़ रही थी ,परंतु बिते एक सप्ताह से तो जैसे कॉंग्रेस खाली होने के कगार पर है ।
कांग्रेस के कट्टर नेता माने जाने वाले लोग भी कॉंग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं ।
ताजा घटनाक्रम की बात करें तो बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी के रूप में बड़ा झटका कांग्रेस के लिये माना जा रहा है ।
कल गणेश गोदियाल के साथ एक मंच साझा करने के बाद राजेंद्र भंडारी आज इस सीट पर प्रत्याशी अनिल बलूनी के साथ दिल्ली बीजेपी दरबार में दिखे , माना जा रहा है कि राजेंद्र भंडारी और उनकी पत्नी रजनी भंडारी पर जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए भ्र्ष्टाचार का आरोप लगा है जिसमे वो लंब्बे समय से कोर्ट केस लड़ रहे है ।
कुछ दिन पहले राजेंद्र भंडारी ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर सीधा-सीधा आरोप लगाकर कहा था कि बीजेपी बदले की राजनीति कर रही है ।
कल हरक सिंह की बहू अनुकृति ने भी कांग्रेस छोड़ दी हालांकि वह अभी बीजेपी में शामिल नहीं हुई है ।लेकिन आज लगातार हरक सिंह खेमा के कई पदाधिकारी द्वारा कांग्रेस छोड़ दी है , जिससे कयास लगाया जा रहा है कि हरक सिंह खेमा भी जल्द बीजेपी में वापसी कर सकता है ।
इससे पूर्व विजयपाल सजवान, बीजेपी से पहले कांग्रेस में गये पूर्व विधायक मालचंद , आज डॉक्टर धन सिंह नेगी के साथ कई बीजेपी में शामिल हुए है ।
कहीं ना कहीं यह भी माना जा रहा है कि जो कांग्रेसी नेता धनबल से मजबूत है , जिनके कई आय के साधन है उनको ईडी , सीबीआई या अन्य जांचों के नाम पर परेशान किया जा रहा है ।
और इन मामलों में कॉंग्रेस हाईकमान का साथ ना मिलने के कारण कहीं ना कहीं कांग्रेसी नेताओं ने भी यह मान लिया है कि बीजेपी में जाकर उनके खिलाफ चल रही जांचों को रोक दिया जाएगा ।
अंदर के सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड कांग्रेस में क्षेत्रवाद की राजनीति बहुत हावी है ।
जब से करन महारा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से कांग्रेस में फूट स्पष्ट रूप पर देखने को आई है ।
करन महारा वह व्यक्ति है जो उत्तराखंड से जनहित संबंधित किसी भी आंदोलन में सक्रिय रूप से सामने नहीं आए ।
बात चाहे वह अंकिता भंडारी का मामला हो , या फिर भू कानून और मूल निवास की । करन माहारा ने हमेशा व्यक्तिगत स्तर पर विवादित बयान दिये है ।
जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटा है , उनके द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है । अगर आंकड़े उठाये तो गढ़वाल क्षेत्र के नेता ज्यादा कांग्रेस छोड़ रहे है ।
अन्य कारणों में कांग्रेस हाई कमान मैं सोनिया गांधी का राजनीतिक रूप से सक्रिय न होना , पार्टी अध्यक्ष का भी उत्तराखंड में कोई ध्यान ना देना भी कॉंग्रेस में फूट का मुख्य कारण है । राहुल गांधी एक अकेले व्यक्ति नजर आते है जो कांग्रेस के लिये कार्य कर रहे है । भले राहुल युवाओं के बीच प्रिय हो परन्तु अपनी दादी , पिता जैसे कुशल राजनीज्ञ वाले गुण उनके अंदर अभी नहीं है ।
उत्तराखंड कॉंग्रेस के बड़े से बड़े पार्टी नेताओं का सीधा संवाद पार्टी हाई कमान से ना होना भी पार्टी के बड़े नेताओं में असंतोष का मुख्य कारण रहा है ।
अंतिम कारण स्वार्थ की राजनीति भी माना जा रहा है , बहती गंगा में हाथ धोने जैसी कहावत राजनीति के लिये ही बनी होती लग रही है । जो कोंग्रेसी नेता टिकट ना मिलने , अहमियत ना मिलने से क्षुब्ध है वो है वो किसी पद , टिकट या अपने कार्यों को सुचारू रूप से चलने देने के एवज में बीजेपी का दामन थाम रहे है ।
हालाँकि इस बात की उम्मीद भी बहुत कम है कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में संलिप्त नेताओं को उंनका मनचाहा मान सम्मान पद मिलेगा ।
अब ये देखना होगा कि अपने आप को कट्टर कांग्रेसी कहने वालो का एक कुनबा जो बीजेपी की पहले से भरी भीड़ में शामिल हुआ है उंनका बीजेपी में जा कर क्या भविष्य होगा !!
क्या होगा देश को कई लीडर देने और कई सालों राज करने वाली पार्टी का भविष्य ??
कॉंग्रेस का एक और विकेट ढहा :आखिर क्या है कांग्रेस से लगातार नेताओं के भागने का कारण: